Header Ads

अंतिम यात्रा kaise hote hai


 अंतिम यात्रा

(किसी कवि ने क्या खूब लिखा है) 

था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था, बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था। 

ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में, बच्चो की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था। 

था पास मेरा हर अपना उस वक़्त, फिर भी मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था। 

जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत की निगाहों से, उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था। 

मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते देख कर, जोर - जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था। 

काँप उठी मेरी रूह वो मंज़र देख कर, जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था। 

मोहब्बत की इन्तहा थी जिन दिलों में मेरे लिए, उन्हीं दिलों के हाथों आज मैं जलाया जा रहा था। 

इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछते हैं, और कितना वक़्त लगेगा। 

दोस्तों आपको पोस्ट पसंद आयी है तो comment में YES जरूर लिखे। पेज को फॉलो जरूर करे 》 

Thanks for reading


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.